इल्जाम कुछ भी लगाओ शायरी गजल | Elzam par urdu gajal - khudkikalam

     इल्जाम  उर्दू गजल - Elzam par urdu meain gajal 




            इल्ज़ाम | Elzam 


 इल्जाम कुछ भी लगाओ क्या ये धोखा नहीं ।

कभी पूछो उन्हें क्या एक बार भी रोका नहीं ।। 


यूं जानबूझकर करते थे दिल दुखाने वाली बातें ।

जब पार हो रही थी हदें क्या कभी टोका नहीं ।।


मज़ाक बनाकर जाया करते रहे ये वक्त सारा ।

बताओ क्या कभी सुधारने का मिला मौका नहीं ।।


भांप लिया था पहले से अंजाम वफ़ा-ऐ-दर्द का 

था सहमा सा दर्द ये, हवा का कोई झोंका नहीं ।।


 कैसे दे सकता है कोई वक्त बुरे होने का तकाजा ।

 अंजाम से वाकीफ था वो, जो जरा भी चौंका नहीं ।।

                              

  © खुद की कलम 


Eljam par gajal | इल्जाम पर गज़ल शायरी


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