ये कान का झुमका तेरा, झुमके पर बेहतरीन हिंदी कविता | झुमका पर अरबी गजल | झुमका शायरी हिंदी में -jhumka shayari
ये झुमका
तेरे खिलते हुस्न का श्रृंगार है ये झुमका।
महते यौवन का तेरा सार है ये झुमका।।
ये झुमका वही है जो मुझे बहलाया है।
मेरी कलम दवात सब इसी ने उठवाया है।।
इसी को देखिये लफ़्ज़ नामा।
देखिये ऐसे ही जीता है तेरा ये दीवाना..
मेरी नज़रों का नज़राना है ये झुमका।
जैसे अपनी भीड़ में बेगाना है ये झुमका..
इस जुमके ने मुझे भी कुछ सिखाया है..
मिलने को फिर बुलाया है..
सूर्योदय में देखा लटकते वो झुमके को तेरे।
क़लम ने कागज़ पे उकेर दिया उपयोग मेरे।।
©खुद की कलम - तीसरा लेख