मेने उसे कभी इस बाहों में कभी उस बाहों में भी देखी है -बेहतरीन उर्दू गज़ल

 गुल को गुलशन, कली बहारों में भी देखी है बेहतरीन गजल  ! 



मेने उसे कभी इस बाहों में कभी उस बाहों में भी देखी


                                         मैने देखी है ।


 गुल को गुलशन, कली बहारों में भी देखी है ।
 मेने उसे कभी इस बाहों में कभी उस बाहों में भी देखी ।।

ना रही अब महक वो ना महकता सा दामन कोई ।
मैंने वो खुशबू कभी हवाओं में कभी फिजाओं में भी देखी है ।।

थोड़ा इम्तियाज़ रखकर चलना अपने और पराए का ।
मैंने हैवानियत कभी भुजाओं में कभी निगाहों में भी देखी है ।।

और मत दुखाया करो यू दिल किसी दुखिया का ,।
मेने असर कभी दुवाओं में कभी बद-दुवाओं में भी देखी है ।।

कैसे करू में एतबार इन फरेबी चाह वालों पर ।
मेने ये चाहत कभी बा-वफाओं में कभी बे-वफाओं में भी देखी है ।।

कैसे खुश हो जाऊ की वो सिर्फ अपना है ।
मेने ये अपनायत कभी पनहाओ में कभी दगाओ में भी देखी है ।।   




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