कैसा शिक़वा किया मित्र - Best Dosti Gazal , Dosti Sher shayari by- khudkikalam

 

कैसा शिक़वा किया मित्र की ,

दोस्ती को बदनाम कर गए ।

एक वो कृष्ण-सुदामा देखो ,

दोस्ती का जाहां में नाम कर गए ।।

ओर दोस्ती में तय हुआ था ,

सौदा जहां को ख़रीदने का ।

कमबख्त वो अपना ,

ज़मीर तक नीलम कर गए ।।

सुना है कि आज़ाद हुआ करते है ,

किस्से दोस्ती के ।

असल मे जज़्बात वो ,

अपने ग़ुलाम कर गए ।।

ओर सहन की है जिसने,

गद्दारी जो यारी में ।

 अक़्सर मित्रता दिवस पर वो ,

 दूर से शलाम कर गए ।।

 ओर क़लम से बनी है,

 मुकेश पहचान ये तेरी ।

 वो तो तुझे यूँ ,

 बे-नाम कर गए।।



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